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प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना : यूपी के हर गाटे की होगी जियो टैगिंग, मिलेगा यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर

Pradhanmantri Gati Shakti Yojana 2022 भूमि से जुड़े विवादों के त्वरित निर्णय कराने के लिए सरकार गति शक्ति योजना के तहत प्रत्येक गाटे की जियो टैगिंग कराने की योजना पर काम कर रही है। इससे विकास की बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि चिन्हित करने में भी आसानी होगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 30 Apr 2022 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2022 07:34 AM (IST)
प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना : यूपी के हर गाटे की होगी जियो टैगिंग, मिलेगा यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर
कंप्यूटर पर पता चल सकेगी हर गाटे की भौगोलिक सिथति।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। राजस्व से जुड़े विवादों की गुंजायश कम करने और बड़ी अवस्थापना परियोजनाओं के लिए शीघ्रता व आसानी से भूमि चिन्हित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्येक गाटे की जियो टैगिंग कराएगी। यह संभव होगा केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत जिसमें हर गाटे को यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (अलपिन) दिया जाएगा। यह 14 अंकों का एल्फा न्यूमरिक कोड होगा।

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प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना का एक फायदा यह होगा कि कंप्यूटर पर अलपिन नंबर डालते ही गाटे की पूरी भौगोलिक स्थिति प्रदर्शित हो सकेगी। उत्तर प्रदेश में लगभग 7.5 करोड़ गाटे हैं। राजस्व विभाग ने इस योजना को पांच वर्षों में अमली जामा पहनाने की कार्ययोजना बनाई है। इस पर 324 करोड़ रुपये का खर्च संभावित है।

न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ बढ़ाने में राजस्व वादों की बड़ी भूमिका रही है। राजस्व से जुड़े विवाद कानून व्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती पेश करते हैं। इसलिए भूमि से जुड़े विवादों का त्वरित और पारदर्शी तरीके से निस्तारण कराने के लिए सरकार गति शक्ति योजना के तहत प्रत्येक गाटे की जियो टैगिंग कराने की योजना पर काम कर रही है। इसका दूसरा फायदा यह होगा कि बुनियादी ढांचे के विकास की बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि चिन्हित करने में आसानी होगी।

इस योजना के तहत पहले चरण में गांवों की सीमा रेखा को भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआइएस) के जरिये अक्षांश-देशांतर युक्त किया जाएगा। दूसरे चरण में गांव के अंदर की आराजियों (भूखंडों) को जीआइएस को अक्षांश-देशांतर युक्त किया जाएगा। इस कार्य के लिए पहले पांच गांवों में सर्वेक्षण किया जाएगा।

बाउंड्री पिलर के अनुसार गांव की सीमारेखा को तकनीकी संस्था द्वारा मानचित्र पर निश्चित किया जाएगा। जीआइएस मैपिंग के जरिये गांव की सीमारेखा व बाउंड्री पिलरों के अक्षांश देशांतर तय किये जाएंगे। इसके बाद गांव के प्रत्येक गाटे का अक्षांश-देशांतर तय किया जाएगा। इसके आधार पर प्रत्येक गाटे का अलपिन नंबर तैयार किया जाएगा।


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